Sunday, 8 September 2024

लहजा बदल के देख

सब काम होगा तेरा लहजा बदल के देख 
इकबार अपने घर से बाहर निकल के देख

है झुनझुना मोहब्बत ये जानते हैं फिर भी
कुछ देर के लिए ही इससे बहल के देख

किस ख़ाक में जवानी हमने गुजार दी है
ये देखना अगर हो दुनिया टहल के देख

ये क्या कि छोटे छोटे सपनों की सैर करना 
गर देखना है सपना रंगो-महल के देख

कुछ बात बोल दी है कुछ बात है अधूरी
जो माइने छुपे हैं मेरी ग़ज़ल के देख

कविराज तरुण 

Friday, 4 August 2017

राजा और शेर की कहानी

राजा और शेर की कहानी

(बच्चो के लिए)

एक था राजा
एक थी रानी
दो बच्चे उनके
अब शुरू कहानी

राजा गया जंगल में
करने शेर का शिकार
सब जानवर छिप गए थे
डर के मारे यार

तभी दिखा शेर
राजा ने तीर चलाया
उसके पीछे रथ को अपने
खूब दौड़ाया
पर मिला नही शेर
हो गई थी देर

तभी सामने से
एक राक्षस आया
राजा से बोला
कितने दिन से इंसान नही खाया
राजा ने छोड़े तीर
पर हुए सब बेअसर
समझ नही आये राजा को
मै जाऊँ अब किधर

तभी देखा राजा ने
उधर शेर था खड़ा
राजा जाकर उसके
पाँवो में गिर पड़ा
बोला जंगल के राजा
मेरे प्राण बचाओ
इस राक्षस को
कैसे भी मार गिराओ

तो शेर ने कहा
मै तेरी करूँ क्यों मदद
मुझे मारने की तुमने
कर ही दी थी हद
राजा ने कहा
अब न कभी दोहराऊंगा
शिकार पर राज्य में
प्रतिबन्ध लगाऊँगा
पर इस समय
कुछ करो शेर भाई
इस राक्षस के आगे
मेरी एक न चल पाई

शेर खुश हुआ
झपटा राक्षस के ऊपर
उधर वो राजा
मारने लगा पत्थर
कुछ देर बाद
राक्षस गिर गया
मार खा खा कर
वहीँ मर गया

राजा ने ली तब
ठंडी साँस खुश होकर
हुई शेर से दोस्ती
दोनों गए अपने घर

कहानी ख़तम पैसा हज़म

-कविराज तरुण

Thursday, 13 June 2013

चार बातें - 2






 चार बातें - 2
 
 जीवन ये अनमोल है , सदा जरुरी ....ज्ञान |
 परम शक्ति के सामने , विस्मित है विज्ञानं ||

 उसको उतना ही मिला , जिसकी जितनी .....सोच |
 उच्च शिखर पर जाते वही , जो करते नहीं संकोच ||

 न पैरो में चप्पल है , न चश्मा न ही.... रुमाल |
 प्रभु का नाम जपता रहा , बीत गया सब साल ||

 जो लोग जलन के मारे हैं , दूजे की प्रगति से वैर |
 बाबाजी के इस दरबार में , नहीं है उनकी ....खैर ||

 --- बाबाजी

Tuesday, 28 May 2013

chaar baatein_1


विप्पति के आगार हैं , दो चौखट की चोट |
एक संतरी द्वार पर , दूजा जो मांगे वोट ||

आनंद नहीं ! जो कम हुआ , पुरुष नहीं ! जो अधीर |
हाथ नहीं आये कभी , परछाई किरण और .....नीर ||

ये कैसा इंसान है , जो पल पल बदले रूप |
चश्मे को तो हटाईये , बड़ी सरल है ..धूप ||

चल अदला बदली करते हैं , तुम राजा मै चोर |
पास तेरे अब राज्य है , मै घूमू सब........ ओर ||





sandesh

 भक्तों !
 अहमदाबाद में जो अप्रिय घटना हुई उससे संत समाज का नाम खराब हुआ है | हम ऐसे संतो और ऐसे    बाबाओ के सख्त विरोधी हैं | आप भी ऐसे बाबाओ से दूर रहिये |
(जनहित में जारी...)







UPDESH



 "उपदेश सरल हैं , दे देता हूँ |
  गरल को अमृत कह देता हूँ |
  जो माने मुझको , उसकी महिमा |
  मै सबके अन्दर ही रहता हूँ || "

  --- बाबाजी

Monday, 27 May 2013

gyan


" ज्ञान की प्राप्ति अगर हिम-शिलाओं पर ही जाकर होती तो निश्चय ही हिलेरी और तेनजिंग इस धरती के प्रथम और परम ज्ञानी होते | "

निष्कर्ष : दिखावे पर मत जाईये ... बाबा की बूटी खाईये ||

--- बाबाजी