Tuesday 28 May 2013

chaar baatein_1


विप्पति के आगार हैं , दो चौखट की चोट |
एक संतरी द्वार पर , दूजा जो मांगे वोट ||

आनंद नहीं ! जो कम हुआ , पुरुष नहीं ! जो अधीर |
हाथ नहीं आये कभी , परछाई किरण और .....नीर ||

ये कैसा इंसान है , जो पल पल बदले रूप |
चश्मे को तो हटाईये , बड़ी सरल है ..धूप ||

चल अदला बदली करते हैं , तुम राजा मै चोर |
पास तेरे अब राज्य है , मै घूमू सब........ ओर ||





sandesh

 भक्तों !
 अहमदाबाद में जो अप्रिय घटना हुई उससे संत समाज का नाम खराब हुआ है | हम ऐसे संतो और ऐसे    बाबाओ के सख्त विरोधी हैं | आप भी ऐसे बाबाओ से दूर रहिये |
(जनहित में जारी...)







UPDESH



 "उपदेश सरल हैं , दे देता हूँ |
  गरल को अमृत कह देता हूँ |
  जो माने मुझको , उसकी महिमा |
  मै सबके अन्दर ही रहता हूँ || "

  --- बाबाजी

Monday 27 May 2013

gyan


" ज्ञान की प्राप्ति अगर हिम-शिलाओं पर ही जाकर होती तो निश्चय ही हिलेरी और तेनजिंग इस धरती के प्रथम और परम ज्ञानी होते | "

निष्कर्ष : दिखावे पर मत जाईये ... बाबा की बूटी खाईये ||

--- बाबाजी