Tuesday 28 May 2013

chaar baatein_1


विप्पति के आगार हैं , दो चौखट की चोट |
एक संतरी द्वार पर , दूजा जो मांगे वोट ||

आनंद नहीं ! जो कम हुआ , पुरुष नहीं ! जो अधीर |
हाथ नहीं आये कभी , परछाई किरण और .....नीर ||

ये कैसा इंसान है , जो पल पल बदले रूप |
चश्मे को तो हटाईये , बड़ी सरल है ..धूप ||

चल अदला बदली करते हैं , तुम राजा मै चोर |
पास तेरे अब राज्य है , मै घूमू सब........ ओर ||





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